- ban JA啊RA 歌詞 Mohammed Irfan Shashaa Tirupathi
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- Shashaa Tirupathi ban JA啊RA 歌詞
- Mohammed Irfan Shashaa Tirupathi
जिसे ज़िन्दगी ढूंढ रही है जिसे ज़िन्दगी ढूंढ रही है क्या ये वो मक़ाम मेरा है यहा चैन से बस रुक जाऊं क्यों दिल ये मुझे कहता है जज़्बात नए इस मिले हैं जाने क्या असर ये हुआ है इक आस मिली फिर मुझको जो कुबूल किसी ने किया है
किसी शायर की गजल, जो दे रूह को सुकून के पल कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर
नाये मौसम की सेहर, या सर्द में दोपहर कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर
·· संगीत ··
मुस्काता ये चेहरा, देता है जो पहरा जाने छुपाता क्या दिल का समंदर औरों को तो हरदम साया देता है वो धुप में है खड़ा ख़ुद मगर चोट लगी है उसे फिर क्यों महसूस मुझे हो रहा दिल तू बता दे क्या है इरादा तेरा
मैं परिंदा बेसबर, था उड़ा जो दरबदर कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर
नाये मौसम की सेहर, या सर्द में दोपहर कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर जैसे बंजारे को घर जैसे बंजारे को घर जैसे बंजारे को घर
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